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यीशु कौन है ?

आपके विचार में ....
  • आप किसे हर समय के सबसे महान व्यक्तित्व के रुप में जानते है?
  • सबसे महान अगुवा?
  • सबसेमहानगुरू
  • मानवता की भलाई के लिए किसने सबसे महान कार्य किया?
  • वह कौन है जिसने अपना पूरा जीवन पवित्रता में बिताया जितना आज तक किसीने भी नही बिताया?

आप संसार के किसी भी भाग में जाईए। किसी भी धर्म के व्यक्ति से बात कीजिए चाहे कोई कारण हो जिसकी वजह से उन्होंने अपने आपको उस धर्म में समर्पित किया हो, अगर उन्हें इतिहास का पता है तो उन्हें ये बात स्वीकार करनी होगी कि नासरी यीशु जैसा कोई भी व्यक्ति आज तक नही हुआ वह आज तक का अद्वितीय व्यक्तित्व है।

यीशु मसीह ने इतिहास की दिशा ही बदल दी। यहाँ तक आपका सुबह का अखबार भी यह साबित करता है कि नासरी यीशु आज से करीब दो हज़ार साल पहले इस धरती पर जीवित था। बी.सी माने ख्रीस्त के पहले तथा ए.डी.(ऑनो डामिनि) माने ईस्वी सन-परमेश्वर हमारे साथ।


उनके आने की भविष्यवाणी

बाइबल के वचनों के अनुसार हजारों साल पहले यीशु के जन्म के बारे में यह पाया जाता है कि, प्रेषितों ने उनके आने की भविष्यवाणियाँ की थी। पुराना नियम जो की कई व्यक्तियों द्वारा 1500 साल के दौरान लिखा गया उनके आने की भविष्यवाणियों का वर्णन है। उनके अद्भुत जन्म, पाप रहित जीवन, और उनके द्वारा किये गये अनेक चमत्कार तथा उनका मृतकों से जी उठना यह सब जानकारी सच हुई।

जिस तरह का जीवन यीशु मसीह ने जीया, जैसा चमत्कार उन्होंने किया, वे वचन जो उन्होंने कहे क्रूस(सूली) पर उनकी मृत्यु, उनका मृतकों में जी उठना, तथा उनका स्वर्ग में उठा लिया जाना यह सब साबित करता है कि वे केवल मनुष्य नही थे बल्की वह उससे भी बढ़कर थे। यीशु ने कहा, मैं और पिता एक हैं(यूहन्ना 10:30)। जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है (यूहन्ना 14:9)। और कहा, मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता (यूहन्ना 14:6)।


उनका जीवन और संदेश परिवर्तन लाता ह

इतिहास के अंतर्गत नासरी यीशु मसीह का जीवन और संदेश हमेशा मनुष्यों के जीवन व राष्ट्रों में महान परिवर्तन उत्पन्न करता है। जहाँ जहाँ उनकी शिक्षा और प्रभाव पहुँचा वहाँ वहाँ सब वैवाहिक जीवन की पवित्रता तथा महिलाओं के अधिकारों के प्रति समाज में उठी आवाज को सब ने स्वीकार किया। उच्च शिक्षा हेतु स्कूलों, विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। बच्चों की सुरक्षा हेतु नियम बनाए गए, दासत्व का अंत हुआ, और मानवता की भलाई के लिए समाज में बडे परिवर्तन हुए। व्यक्ति गत जीवन में भी काफी बदलाव आया। उदाहरण स्वरूप लीयु वैलेस एक महान जनरल और साहित्यक प्रतिभासंपन्न व्यक्ति थे जो नास्तिक समझे जाते थे। दो साल तक वैलेसजी ने युरोप और अमेरिका के मुख्य पुस्ताकालयों में अध्ययन करके यह जानकारी हासिल की कि मसीयत हमेशा हमेशा के लिए नाश हो जाएगी। उसी दौरान एक किताब के दूसरे अध्याय को लिखने की योजना बना रहे थे। तब उन्होंने अचानक यह पाया कि वे स्वयं अपने घुटनों पर खडे थे। और हे प्रभु और हे मेरे परमेश्वर कहते हुए यीशु से गिडगिडा रहे थे।

अविवाद्य सबूत के बगैर, वे इनकार नही कर सकते थे कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र था। बाद में लीयु वैलेस ने यीशु मसीह के समय से सम्बंधित बेनहर नाम एक किताब लिखी जो कि अंग्रेजी साहित्य के मुख्य उपन्यासों में एक है।

इसी तरह स्वर्गीय सी.एस लुईस जो कि इंगलैंड के ऑक्सवर्ड विश्व विद्यालय के प्रोफेसर थे एक प्रत्यक्षवादी थे, जिन्होंने कई सालों तक यीशु मसीह के दैवत्व का इनकार किया था। मगर उन्होंने भी बुद्धिमत्ता और इमानदारी के साथ समर्पित किया कि यीशु मसीह परमेश्वर और उद्धारकर्ता है। उसी दौरान जब उनके न होने के विषय में अध्ययन कर तथा सिद्ध करना चाह रहे थे।


प्रभु, झूठा या पागल ?

लुईस की प्रसिद्ध किताब - सिर्फ मसीहयत में वे घोषित करते है की यदि कोई व्यक्ति जो केवल एक व्यक्ति है और अगर वह सब कहें जो यीशु ने कहा तो कभी भी एक महान नैतिक शिक्षक नही कहलाएगा। वह या तो पागल है उस मनुष्य की समानता जो कहें की वह कुचला अंडा है। या नरक का शैतान है। आप जैसे चाहे चुन सकते है। या तो यह परमेश्वर का पुत्र था और है या पागल था या उससे भी बुरा था। आप उसे मूर्ख कहकर फटकार सकते है या उसके चरणों पर गिरकर उसे अपना प्रभु और परमेश्वर के रूप में स्वीकार कर सकते है। उनके एक महान गुरू होने के बारे में कोई भी मूर्खता पूर्ण बात नहीं कर सकते । इस मामले में उन्होंने किसी को भी कहने के लिए कुछ भी न छोडा।

आप के लिए नासरी यीशु कौन है ? इस दुनिया में आपका जीवन तथा एक अनन्त जीवन के मामले में आपका जवाब पूरी तरह इस प्रश्न पर आधारित है। अधिकांश धर्म मानव निर्मित तथा मानव द्वारा स्थापित दर्शनशास्त्र पर आधारित जीवन नही है, न ही या सदाचार से सम्बंधित या अनुशासन पूर्ण धार्मिक रिवाज के प्रति आज्ञाकारिता। सच्ची मसीहयत पवित्रता तथा मृतकों में से जी उठे, जीवित उद्धारकर्ता के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध पर आधारित है।


एक जीवित संस्थापक

नासरी यीशु मसीह को ख्रूस पर चढ़ाया गया, फिर उन्हें कबर में दफनाया गया लेकिन तीसरे दिन वे मृतकों में से जी उठे। इस के कारण मसीहयत पूरी दुनिया में अनोखा है। मसीहयत की विविधता के प्रति किसी भी संदेह का सबूत मसीह का जी उठना है।

इस बारे में सदियों से महान ज्ञानी व्यक्ति इसको स्वीकार करते है। और सच्चाई आज भी स्वीकारते है कि यीशु मसीह जीवित है। सुसमाचारों के लेखकों द्वारा मृतकों में से जीवित होने का परिक्षण करते स्वर्गीय शीमोन ग्रीन लीफ्स हारवर्ड लाँ स्कूल के वैधानिक अधिकारक स्वीकारते है कि, यह असंभव था, कि वे उन तथ्यों की निरंतर पुष्टि करते रहते, जिनका वर्णन वे कर रहे थे, यदि यीशु वास्तव में जीवित न हुआ होता, और उन्हें किसी भी अन्य तथ्य के समान इस तथ्य का पता नही चलता।

जॉन सिंगलटन कोपले जो की इंग्लैंड में इतिहास के कानून के अनुसार सब से ज्यादा दिमाग वाले समझे जाते है उन्होंने स्वीकार किया की, मुझे श्रेष्ठता के साथ मालुम है कि क्या प्रमाण है, और मैं बता सकता हूँ कि ऐसा प्रमाण जो कि यीशु मसीह के जीवित होने के बारे में है, वह आज तक नहीं हुआ है।


विश्वास करने के कारण

यीशु का मृतकों में से जी उठना किसी भी मसीही के विश्वास का आधार है। ऐसे बहुत से कारण है जिसके द्वारा जो भी उस जी उठने के विषय में अध्ययन करते है वह स्वीकार करते है यह सत्य है। 

भविष्यवाणी- सबसे पहले यीशु ने खुद अपनी मृत्यु तथा जी उठने के विषय में भविष्यवाणी की और उसकी मृत्यु तथा उसका जी उठना भी ठीक वैसा ही था जैसा उसने भविष्यवाणी की थी।(देखे लूका 18:31-33)

खाली कब्र- उसके जी उठने के बारे में उसकी खाली कब्र ही एक विश्वसनीय वर्णन प्रस्तुत करती है। ध्यान पूर्वक बाइबल की कहानी का अध्ययन करने पर पता चलता है कि वह कब्र जहाँ यीशु को दफ़नाया गया था उसको रोमी सिपाहियों ने पहरा दिया था तथा एक बडे से पत्थर से मुहर लगा कर बंद किया था। जैसे कुछ लोग कहते है कि यीशु नही मरे थे, किन्तु केवल बेहोश हुए थे, तो पहरूए और पत्थर उन को रोक सकते थे - या उनके शिष्यों द्वारा उन्हें निकालने के किसी भी प्रयास को। यीशु के शिष्य उसकी लोथ को कभी भी नही निकाल सकते थे, क्योंकि कब्र में उन के शव की अनुपस्थिति, उनके पुनःरुत्थान में विश्वास को प्रमाणित करता ।

व्यक्तिगत मुलाकात- तीसरी बात यीशु मसीह के मृतकों में से जी उठने के बाद चेलों के सामने प्रगट होना इस बात की पुष्टी करती है। इस के बाद यीशु कम से कम दस बार लोगों से मिले जिन्हें वे जानते थे तथा फिर पाँच सौ लोगों के सामने एक बार प्रगट होना कोई वहम नही था। उन्होंने उनके सामने खाया, बात की, तथा लोगों ने उन्हें स्पर्श भी किया था।

कलीसिया का जन्म- चौथी बात मसीही कलीसिया की शुरुवात होने का कारण सिर्फ यीशु मसीह का जी उठना है। मसीही कलीसिया ही एक ऐसी संस्था है जो वास्तविक तौर पर दुनिया के इतिहास में बहुत पहले से आज तक वर्तमान में सबसे बडी संस्था है। पहले धार्मिक प्रचार का आधे से अधिक भाग यीशु के जी उठने से संबंधित है। (प्रेरित 2:14-36) पहली सदी की कलीसिया को यह स्पष्ट रूप से मालुम था कि यही उसके सुसमाचार का आधार है। उनके शत्रु यीशु मसीह के शरीर को लेकर आसानी से किसी भी समय उन्हें रोक सकते थे।

लोगों के जीवन का रूपांतरण- यीशु का जी उठना ही चेलों के जीवन के रूपांतरण का तर्क संगत कारण है। यीशु के पुनःरुत्थान के पहले वे तितर बितर हो गये थे एव उनकी मृत्यु के बाद उनमें भय और निराशा छा गयी थी। उन्होंने कभी नही सोचा था कि यीशु मृतकों में से जी उठेगा।(लूका 24:1-11) ठीक उसके पुनःरुत्थान के बाद यही निराश लोगों को जीवित मसीहकी अद्भुत शक्ति ने रूपांतरित कर दिया। यीशु के नाम से वे संसार को उलट पुलट करने लगे। अनेक लोगों ने विश्वास के लिए अपने जीवन को खो दीया, अनेक लोग सताये गये। उनका दृढ़ विश्वास की यीशु मसीह मृतकों में से जी उठे है उनको साहस पूर्ण क्रुर व्यवहार उन्हें हिला भी नही सका। यही तथ्य मरने के लिए बहुत अधिक है। विश्वविद्यालयी दुनिया के साथ कार्य में चालीस साल से लगे रहने के बाद भी अभी तक मैं ऐसे व्यक्ति से नही मिला जो बुद्धिमत्ता से नासरी यीशु जी उठने का प्रमाण खोज ने पर आज तक की जिसने स्वीकार नही किया हो कि यीशु परमेश्वर का पुत्र तथा मसीहा है जिस के आने का वादा किया गया। जब कुछ लोग विश्वास नही करते तो वे बडी इमानदारी से कहते है कि - मैने बाइबल पढ़ने के समय कभी नहीं निकाला और न ही यीशु मसीह के बारे में विचार किया है।

एक जीवित प्रभु- यीशु मसीह के पुनःरुत्थान के कारण उनके सच्चे अनुयायी कभी भी एक मृत संस्थापक का सदाचारी संकेत ग्रहण नही करेंगे। मगर एक पवित्र व्यक्तिगत संबंध जीवित प्रभु साथ रखते है। यीशु मसीह आज भी जीवत है तथा जो उस पे विश्वास करते है तथा उसकी आज्ञा मानते है उनके जीवन को ऊँचा उठाने के लिए उन्होंने विश्वासयोग्यता से उन्हें आशिष दी।

फ्रॉन्स के भौतिकशास्त्री तथा दर्शन शास्त्री ब्लेस पॉस्कल ने आदमी को यीशु के जरुरत के बारे में बता ने पर कहा कि, प्रत्येक मनुष्य के हृदय में परमेश्वर के आकार का शून्य स्थान होता है जिसको केवल परमेश्वर अपने पुत्र यीशु मसीह द्वारा ही भर सकता है।

क्या आप यीशु मसीह को अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में जानना चाहेंगे ? आप इतना हियावपूर्ण कार्य कर सकते है ! यीशु मसीह जितनी जल्दी हो सके आप से एक व्यक्तिगत संबंध बनाने के लिए जिन जरूरी व्यवस्थाओं की जरूरत है उसका प्रबंध कर तैयार बैठा है।

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